श्रेया की खामोशी
चैप्टर 2
श्रेया की खामोशी
अब तक आपने पढ़ा प्रिंसिपल सर राहुल को उसकी मां को लाने के लिए कहते हैं श्रेया ऑफिस जाते वक्त किसी से टकरा जाती है जिसपर उस बहुत गुस्सा आता है शाम को बेकरी से निकलकर वो जाने लगती है तभी किसी से टकरा जाती है.......
अब आगे
श्रेया नज़र उठा कर देखती है तो वो सुबह वाला आदमी ही होता है श्रेया उसे देख कर बहुत ज्यादा गुस्से में आ जाती है और गुस्सें से कहती है - "हैलो मिस्टर तुम हो कोन हां , ना सही से चलना आता है, ना ही गाड़ी चलाना मरने का इतना शोक है तो कोई और तारिका ढुँढो क्योंकी मुझे अभी नहीं मरना"
अब वो आदमी तेज गुस्से में कहता है "4 अंखे है तुम्हारी फिर भी दीखता नही है क्या ,मरने का शोक तुम्हें है मुझे नहीं" फिर अचानक कुछ सोच कर कहता है "एक मिनट पेहले तुम ये बताओ तुम यहां मेरी कंपनी में क्या कर रही हो"
श्रेया कुछ कह पाति तभी ,उसका फोन बजता है ,जब वो स्क्रीन पर नाम फ्लैश होता देखती है तो कॉल उठा लेती है और कहती है "गुड इवनिंग सर कहिये" तब दुसरी तरफ की आवाज सुनकर वो जल्दी से फोन रख सामने वाले को माफ करना बोल निकल जाती है"
वो आदमी कोई और नहीं शौर्य होता है वो अपने असीस्टेंट से कहता है "कोन है ये"
तो उसका असीस्टेंट कहता है "सर ये रिसेप्शनिस्ट की नौकरी करती है हमारी ही कंपनी में, श्रेया नाम है" तो शौर्य गुस्से में वहा से चला जाता है, उसे खुद समझ नहीं आ रहा था की क्यु वो उस औरत के बारे में सोच रहा है बार बार उसे उसकी आँखे दिखाई देती है उसे उसकी आँखे देखकर कुछ अजीब सा एहसास होता है
शौर्य फ्रस्ट्रेट होते हुए कहता है "क्या कर रहा है शौर्य पूरी दुनिया में तुझे सोचने के लिए वही मिली है"
फिर वो अपने ख्यालो को झटक के अपने काम में लग जाता है!
"दसरी तरफ श्रेया भागते हुए घर पहुँचती है तो देखती है राहुल सोफ़े पर बैठा है उसने स्कूल ड्रेस तक नहीं बदला है"
श्रेया उसके पास जाकर बैठ जाती है और प्यार से पुछती "क्या हुआ लाडले तुमने अभी तक कपड़े क्यों नहीं बदले"
तो राहुल गुस्से में खड़ा होता है और चिल्लाते हुए पुछता है "बताओ मेरा बाप कौन है, और कहा है" उसका पूरा चेहरा गुस्से से लाल हो चुका था!
उसकी तेज़ आवाज़ सुनकर श्रेया डर जाति है लेकिन फिर हिम्मत करके कहती है "बेटा उनकी मौत हो गयी है"
राहुल चिल्लाते हुए कहता है "मौत ही हुई है ना तो ,मुझे उनका नाम बताओ कोन है, तस्वीर तो होगी ना"
श्रेया खामोश ही रहती है! श्रेया की खामोशी देख , राहुल का गुस्सा और बढ़ जाता है, और वो अपने सोचने या समझने की शक्ति खो देता है और चिल्लाते हुए कहता है "नहीं है न तुम्हारे पास जवाब,पिछले 6 सालों से एक ही सवाल कर रहा हूँ, लेकिन हर बार बस आपकी ये खामोशी ही देखी है , मुझे मालुम था आज भी जवाब नही मिलेगा, लोग गलत नहीं कहते हैं ,आप एक ऐसी औरत हो जिसे ये तक नहीं मालुम की उसके बच्चे का बाप कौन है ,तुम एक घटिया औरत हो या यूं कहे की तुम इतने मर्दो के साथ....."
"चटाक! एक ज़ोरदार थप्पड़ उसके गालो पर पड़ता है राहुल अपने गाल पर हाथ रख सामने खड़े इन्सान को देखता हैं और पिछे खड़ी श्रेया भी उस शख्स को सामने देखकर एकदम से चौंक जाति है और उसके मुह से अपने आप निकल जाता हैं "तनुजा"
तनुजा गुस्से में राहुल को घुरते हुए तेज आवाज में कहती है "बस बहुत हो गया राहुल, बहुत बोल चुके तुम और बहुत सुन चुकी ये ,बस अब बहुत हुआ! अगर इसके आगे तुमने एक भी शब्द कहा, तो मैं भूल जाऊंगी की तुम श्रेया के बेटे हो, तुम्हारा कोई हक नहीं बनता उसपर उंगली उठाने का तुम जानते क्या हो उसके बारे में"
फिर थोडा अफ़सोस और गुस्से के साथ कहती है "तुम तो उसका असली नाम तक नहीं जानते वो क्या है क्या थी! उसके प्यार उसके बलिदान का ये मतलब निकाला है छी मुझे शर्म आती है की तुम्हें ये अपना बेटा कहती हैं अरे तुम तो एक नजा"
तनुजा ने इतना ही कहा था की श्रेया चिल्ला पड़ती है "तनु".. अपना नाम सुनकर "तनुजा खामोश हो जाति है और श्रेया की तरफ देखने लगती है जिसके आंखों में आंसू थे उसके आंसू देख तनुजा की आंखे नम हो जाती है"
तो श्रेया उससे दुखी आवाज में कहती है "कुछ राज अनकहे रहे तो ही अच्छा होता है तनुजा"..और वहाँ से चली जाती है!
उसे जाता देख तनुजा कहती है.."झुकता तो हर कोई है खुदा के सामने, पर आज खुदा झुक गया तेरी ममता के सामने"
और पिछे मुड़कर राहुल को एक नज़र देखती है और कहती है "इतना भी खुद को मत गिराओ की सच्चाई जानने के बाद खुद से नज़र ना मिला सको " और वो भी वहां से चली जाती है!
वो श्रेया के पास आती है ,जो खामोश बैठी थी, तनुजा उससे पूछती है "क्या हुआ क्या सोच रही है"
श्रेया अफसोस के साथ केहती है "यही की मेरी परवरिश पर उसके अंदर बहता हुआ खून भारी ना पड़े! आज राहुल के प्रिंसिपल का फोन आया था कल स्कूल बुलाया है"
तनुजा शॉक होते हुए केहती है "लेकिन क्यों"..
श्रेया केहती है "राहुल के खिलाफ एक लड़की ने शिकायत की है"
तनुजा शॉक होकर "कैसी शिकायत"
श्रेया फिर केहती है "राहुल ने किसी लड़की के साथ बदतमीजी की है"
तनुजा शॉक होकर "अब क्या करेगी?"
श्रेया सोचते हुए कहती है "कुछ नहीं कल स्कूल जाउंगी फिर देखते हैं"
तनुजा कुछ सोच कर कहती है "तू उसे सब कुछ बता क्यों नहीं देती है"
श्रेया उसकी आँखों में देखते हुए.. "नहीं तनु मैं ऐसा नहीं कर सकती क्यूकी सच्चाई जानने के बाद वो टूट जाएगा , सब बताउंगी लेकिन तब जब सही समय होगा और वो समय अभी नहीं है"
फिर तनुजा को उसके कमरे में तैयार होने का बोलकर जाने लगती है तभी तनुजा उसे पुछती है "तू क्या उसे भूल गयी है?"
श्रेया एक दर्द भरी मुस्कान के साथ कहती है:-
"हमने खुद को रोक लिया किसी और का होने से"
"दिल को कैसे रोके सिर्फ उन्ही का होने से"
"वो अखीरी चाहत थे हमारी"
"कैसे करदे इनकार उनकी यादों से"
इतना बोलकर श्रेया वहा से चली जाती है "लेकिन कोई और भी था वहां जिसने उनकी बातें सुन ली थी"
किसकी बात कर रही है तनुजा? क्या सच्चाई है श्रेया की? किसने उनकी बाते सुनी है? क्या मोड़ लेने वाली है कहानी
जानने के लिए पढ़ते रहिये मेरी कहानी "एक मां ऐसी भी" मिलते हैं अगले चेप्टर मे तब तक के लिए बाय बाय.......
वानी #कहानीकार प्रतियोगिता
Gunjan Kamal
14-Jul-2023 12:28 AM
👌
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Varsha_Upadhyay
12-Jul-2023 08:55 PM
शानदार भाग
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डॉ. रामबली मिश्र
12-Jul-2023 07:50 PM
👏👌
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